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कुछ लोग कहते हैं प्रधानमंत्री चोर है तो आप क्या हैं, जिनके पड़ोसी चीन और पाकिस्तान हों तो चौकन्ना रहना जरूरी: अच्युत प्रपन्नाचार्य

  • भगवान के भक्त वे हैं, जिन्हें जितना मिले, उतने में ही संतुष्ट हों

व्यासनगर। प्रजा की रक्षा करना राजा का धर्म होता है। आंतरिक रूप से और बाहरी पड़ोसियों से भी। पड़ोसी ठीक रहें, तभी सब ठीक है। जब पाकिस्तान और चीन जैसे पड़ोसी हों, जो कभी भी उपद्रव कर दें तो चौकन्ना रहना जरूरी है। कुछ लोग कहते हैं प्रधानमंत्री चोर है तो आप क्या हैं? अपने से अपने घर की निंदा उचित नहीं है।

व्यासनगर में संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन जगद्गुरु स्वामी अच्युत प्रपन्नाचार्य महाराज ने भगवान के भक्त की महिमा बताई। उन्होंने कहा कि जो भगवान के भक्त होते हैं, वे भगवान ने जो दिया, उसी में संतुष्ट रहते हैं, क्योंकि वे जानते हैं कि जब कोई संकट आएगा तो भगवान के दूत उनकी रक्षा करेंगे।

भगवान ने अपने दूत नियुक्त किए हैं, जो रक्षा करते हैं। इसलिए भगवान के भक्त को कभी भी चिंता नहीं करनी चाहिए। उन्हें शरणागत होना चाहिए। भगवान शंकर ऐसे भक्त हैं, जो चाहते तो प्रारब्ध बदल देते, लेकिन जब सती नहीं मानीं तो उन्होंने मान लिया कि भगवान की यही इच्छा है।

भगवान अपने भक्त को जरूरत से ज्यादा देते हैं, लेकिन कभी भक्त को अहंकार नहीं करना चाहिए। जब अर्जुन के मन में अहंकार आ गया, तब भगवान ने उन्हें यह संदेश दिया कि भगवान की इच्छा से ही सब कुछ हो रहा है।

गुरू और पिता को कभी भी ढिलाई नहीं करनी चाहिए
स्वामी अच्युत प्रपन्नाचार्य महाराज ने कहा कि माता का अपने बच्चे के प्रति मोह होता है, चाहे वह जायज हो या नाजायज। माता अपने बच्चे का अपमान नहीं सह सकती। कुंती के लिए जैसे पांचों पांडव थे, उतने ही प्रिय कर्ण भी थे।

माता स्नेहवश अपने बच्चे की गलतियों को नजरअंदाज कर सकती हैं, लेकिन पिता और गुरू को कभी भी अमर्यादा को क्षमा नहीं करनी चाहिए। भगवान शंकर ने यही संदेश देने के लिए गणेश जी का सिर अलग कर दिया था।

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