शराब पीने से बड़ा पाप नहीं, किसी को पतन के रास्ते पर ले जाना है तो शराब पिलाओ: अच्युत प्रपन्नाचार्य
- धुंधकारी और गौकर्ण की कथा सुनाकर संत ने संस्कार के महत्व को समझाया
व्यासनगर। शराब पीने से बड़ा कोई पाप नहीं है। किसी को पतन के रास्ते पर ले जाना है तो शराब पिलाओ। जब रावण कुम्भकर्ण के पास गया और जगाया तो वह तो नारद का उपदेश सुनकर सोया था।
रावण को उपदेश देने लगा कि जो कर रहे हो वह गलत है। इसके बाद रावण ने अपने भाई को शराब पिला दी। इसके बाद उपदेश का प्रभाव खत्म हो गया और सब कुछ नष्ट हो गया। व्यासनगर में श्रीमद्भागवत महापुराण कथा के दूसरे दिन जगद्गुरू स्वामी अच्युत प्रपन्नाचार्य महाराज ने धुंधकारी और गौकर्ण की कथा सुनाकर संस्कार के महत्व को समझाया।
कथा आचार्य ने कहा कि ब्राह्मण आत्मदेव की कोई संतान नहीं थी। संत के सामने याचना की तो उन्हें फल दे दिया, लेकिन पत्नी ने फल खाने के बजाय गाय को दे दिया।
आत्मदेव की पत्नी धुंधली ने अपनी बहन के बेटे को अपना बता दिया। इधर, गाय से भी एक बालक हुआ। धुंधली का बेटा धुंधकारी और गाय से पैदा हुए बालक का नाम गौकर्ण रखा गया। धुंधकारी से ब्राह्मण का ज्यादा लगाव था। आत्मदेव ने गौकर्ण को संतों को सौंप दिया। धुंधकारी को कोई संस्कार नहीं मिला था, इसलिए शराब-गांजा की लत लग गई।
धुंधकारी के इसी असंस्कार से सब कुछ नष्ट हो गया। गलत मार्ग में धन खर्च करेंगे तो वह टिकने वाला नहीं है।भारत में जन्म लेने वाला कोई नरक नहीं जातास्वामी अच्युत प्रपन्नाचार्य महाराज ने कहा कि भारत में जन्म लेने वाला कोई भी नरक नहीं जाता, क्योंकि हम किसी न किसी कल्याण करने वाली नदी के किनारे रहते हैं।
शास्त्रों में लिखा है कि गंगा जी के दर्शन से मुक्ति मिल जाती है। अब सवाल आया कि क्या जो दर्शन नहीं कर पाया तो उसे मुक्ति नहीं मिलेगी। उनके लिए कहा गया कि यदि गंगाजल की दो बूंद का पान कर लें तो भी मुक्ति मिल जाएगी। जिन्हें यह भी नहीं मिल सकता वो स्नान करते समय गंगा का स्मरण कर लें तो भी मुक्ति मिल जाएगी।