सौम्या चौरसिया गई जेल: ईडी की पूछताछ पूरी, स्पेशल कोर्ट ने सीएम की डिप्टी सेक्रेटरी को 5 दिन न्यायिक रिमांड पर भेजा
रायपुर। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की डिप्टी सेक्रेटरी सौम्या चौरसिया को स्पेशल कोर्ट ने 5 दिन की न्यायिक रिमांड पर जेल भेजने के आदेश दिए हैं।
मनी लांड्रिंग और कोल परिवहन में अवैध लेवी के आरोपों में ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने 2 दिसंबर को गिरफ्तार किया था।
पुलिस रिमांड की अवधि खत्म होने पर बुधवार को ईडी ने उन्हें कोर्ट में पेश किया।
ईडी की ओर से और रिमांड की मांग नहीं की गई, जिसके बाद कोर्ट ने 5 दिन की न्यायिक रिमांड पर भेजने के आदेश दिए हैं।
बता दें कि ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने सौम्या चौरसिया को 2 दिसंबर को गिरफ्तार कर स्पेशल जज अजय सिंह राजपूत की अदालत में पेश किया था।
इसके बाद पहले दो बार चार-चार दिन, फिर तीसरी बार चार दिन की रिमांड पर लेकर पूछताछ की है।
बुधवार को चार दिन की रिमांड अवधि खत्म होने पर सुरक्षा व्यवस्था के साथ कोर्ट में पेश किया गया।
बता दें कि अब तक मनी लांड्रिंग और कोल परिवहन में कथित 25 रुपए प्रति टन अवैध लेवी के मामले में पांच आरोपी जेल जा चुके हैं।
इनमें आईएएस समीर विश्नोई, अवैध लेवी के सरगना सूर्यकांत तिवारी, सूर्यकांत के चाचा लक्ष्मीकांत तिवारी और कोयला कारोबारी सुनील अग्रवाल शामिल हैं।
152.31 करोड़ की संपत्ति कुर्क
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने छत्तीसगढ़ अवैध खनन मामले में 152.31 करोड़ रुपए की चल और अचल संपत्ति कुर्क की है। कुर्क की गई संपत्तियों में सूर्यकांत तिवारी की 65 संपत्तियां, सौम्या चौरसिया (छत्तीसगढ़ की उप सचिव) की 21 संपत्तियां, आईएएस अधिकारी समीर विश्नोई की पांच संपत्तियां, सुनील अग्रवाल और अन्य को संपत्तियां शामिल हैं।
संपत्तियों में छत्तीसगढ़ में नकदी, आभूषण, फ्लैट, कोल वाशरी और प्लॉट शामिल हैं।
संलग्न भूखंडों में हिर्री, पोटिया और सेवती, दुर्ग में 63.38 एकड़ कृषि भूमि, रसनी और आरंग, रायपुर में 10 एकड़ की जमीन, ठकुराइनटोला, दुर्ग में 12 एकड़ की व्यावसायिक भूमि और एक फार्म हाउस शामिल हैं।
जांच एजेंसी द्वारा जारी प्रेस नोट में कहा गया है कि “ईडी ने कोरबा और रायगढ़ के खनन विभाग सहित 75 से अधिक स्थानों पर तलाशी ली और आपत्तिजनक साक्ष्य एकत्र किए हैं।
ईडी ने करीब 100 लोगों के बयान दर्ज किए हैं। “ईडी की जांच में पता चला है कि एक बड़ी साजिश के हिस्से के रूप में नीतिगत बदलाव किए गए थे और पहले से मौजूदा कुशल ऑनलाइन प्रणाली को बदल कर एक मैनुअल प्रणाली शुरू की गई।
15 जुलाई, 2020 को जारी किए गए सरकारी आदेश में जहां कोयला उपयोगकर्ता को राज्य के खनन अधिकारियों से अनिवार्य रूप से एनओसी (अनापत्ति प्रमाण पत्र) आवेदन करने के लिए मजबूर किया।
इस सरकारी आदेश के साथ, परिवहन किए गए कोयले के 25 रुपये प्रति टन की दर से कथित जबरन वसूली शुरू हुई।
सूर्यकांत तिवारी कथित तौर पर जमीनी स्तर पर मुख्य गुर्गे थे जिन्होंने कोयला ट्रांसपोर्टरों और उद्योगपतियों से पैसे ऐंठने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में अपने कर्मचारियों को तैनात किया।
उनकी टीम निचले स्तर के सरकारी अधिकारियों और कोयला ट्रांसपोर्टरों और उपयोगकर्ता कंपनियों के प्रतिनिधियों के साथ समन्वय कर रही थी।
सूर्यकांत तिवारी के कर्मचारी राज्य भर में फैले हुए थे, इसलिए उन्होंने व्हाट्सएप ग्रुप, प्रत्येक कोयला डिलीवरी ऑर्डर की एक्सेल शीट और जबरन वसूली की राशि और उनके उपयोग की विस्तृत हस्तलिखित डायरी भी बनाए रखा था।
इसके साथ ही डायरी में बेनामी भूमि की खरीद, रिश्वत का भुगतान, राजनीतिक व्यय के लिए भुगतान आदि भी लिखित है।
जांच एजेंसी ने कहा कि इस तरह की प्रणालीगत जबरन वसूली राज्य तंत्र की जानकारी और सक्रिय भागीदारी के बिना संभव नहीं थी।
अधिकारियों के अनुसार, जिस तरह से निर्बाध रुप से मात्र दो साल में अबैध वसुली से लगभग 500 करोड़ रुपये एकत्र किए हैं इससे यह स्पष्ट रूप से इंगित होता है कि सभी आरोपी उच्च पदस्त व्यक्तियों के निर्देशों पर एक ठोस तरीके से काम कर रहे थे, एसे उच्च पदस्त व्यक्ति जिनका राज्य तन्त्र पर कमान और नियंत्रण हो।
ईडी जबरन वसूली रैकेट से जुड़े सभी लेन-देन की बारीकी से जांच कर रही है।ईडी का आरोप है कि पिछले 2 सालों में कम से कम 540 करोड़ रुपये की वसुली की गई है।
ईडी ने हजारों हस्तलिखित डायरी का विश्लेषण किया है। अधिकारियों का दावा है कि ईडी ने न केवल डायरी प्रविष्टियों पर भरोसा किया है, बल्कि डायरी प्रविष्टियों की पुष्टि करने के लिए बैंक खाते के विश्लेषण, जब्त किए गए व्हाट्सएप चैट के विश्लेषण, बयानों की रिकॉर्डिंग आदि सहित विस्तृत जांच की है।