सिंहदेव का इस्तीफा: टीएस सिंहदेव ने पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग का मंत्री पद छोड़ा, ये है वजह…
रायपुर। छत्तीसगढ़ में ढाई साल के सीएम पद को लेकर चल रही सियासी खींचतान में लंबी खामोशी के बाद एक बार फिर राजनीतिक अटकलें तेज हो गई हैं। कांग्रेस सरकार बनने के बाद स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के साथ साथ पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, जीएसटी और 20 सूत्रीय क्रियान्वयन विभाग की जिम्मेदारी संभाल रहे टीएस सिंहदेव ने शनिवार को पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के दायित्व से इस्तीफा दे दिया है।
सिंहदेव ने बाकायदा सीएम भूपेश बघेल को एक चिट्ठी लिखी है। इसमें पेसा कानून के ड्राफ्ट में छेड़छाड़, उनकी सहमति के बगैर पंचायत विभाग में फैसले लेने, ग्रामीण आवास के लिए राशि उपलब्ध नहीं कराने आदि कारणों को शामिल करते हुए पंचायत विभाग का दायित्व छोड़ने का उल्लेख है। सिंहदेव के इस कदम से जुड़ी दो बातों पर ध्यान देना जरूरी है।
पहली यह कि आज ही मीडिया से चर्चा में इशारों इशारों में इस बात का जिक्र किया था कि उनके धैर्य की परीक्षा ली जा रही है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा था कि वे कांग्रेस छोड़कर कहीं नहीं जाने वाले हैं। दूसरी बात यह है कि सिंहदेव ने जो कारण गिनाए हैं, उनमें परोक्ष रूप से सीएम भूपेश बघेल को ही जिम्मेदार ठहराया है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है, क्योंकि वित्त विभाग के भारसाधक मंत्री बघेल हैं। सिंहदेव ने यह स्पष्ट किया है कि वे बार बार अपनी बातों को सीएम के समक्ष रख रहे थे, लेकिन उनकी बातों को नजरंदाज किया गया। सिंहदेव की चिट्ठी के बाद छत्तीसगढ़ की राजनीति में फिर उबाल आ गया है।
अब आगे क्या…
मंत्रियों को विभाग बांटने की जिम्मेदारी सीएम की होती है। अब गेंद सीएम के पाले में है। सीएम चाहें तो पंचायत विभाग किसी दूसरे मंत्री को दे सकते हैं या खुद भी विभाग संभाल सकते हैं। हालांकि बात यहीं खत्म नहीं होगी। सिंहदेव के इस फैसले की धमक दिल्ली तक होगी। भाजपा मीडिया सेल के राष्ट्रीय प्रभारी अमित मालवीय ने इस मसले पर प्रतिक्रिया देकर यह संकेत भी दे दिए हैं। दूसरी ओर, विधानसभा सत्र में भी इस मुद्दे पर जोरदार हंगामे के आसार हैं। भाजपा इसे मुद्दा बनाएगी। पार्टी में जो अंदरूनी खींचतान है, वह भी उभरकर सामने आने के आसार हैं।
जानें भाजपा ने क्या कहा…
खुद के मंत्रालय में असहाय हो गए हैं सिंहदेव : कौशिक नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने पंचायत मंत्री टीएस सिंहदेव के एक मंत्रालय से त्याग पत्र देने पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कांग्रेस के वरिष्ठ मंत्री अपने मंत्रालय में ही असहज महसूस कर रहे थे। उनके सामने कई कठिन परिस्थितियां निर्मित हो गई थी, जिसके कारण वह त्याग पत्र देने को विवश हो गए। मुख्यमंत्री और सिंहदेव के बीच जारी इन 42 महीनों से खींचतान के कारण प्रदेश का विकास प्रभावित हो रहा था। यही कारण है कि अंततः प्रदेश के पंचायत मंत्री ने अपने मंत्रालय से इस्तीफा देना उचित समझा। यह भी स्पष्ट होता है कि कांग्रेस की अंदरखाने की लड़ाई अब सड़कों पर आ गई है, जिसके कारण एक मंत्री को अपने पद से इस्तीफा देने को विवश होना पड़ रहा है। इससे दुर्भाग्यजनक और क्या हो सकता है।