भारतीय सेना का नाम लेते ही हमारा मस्तक गर्व से ऊंचा उठ जाता है: राज्यपाल
रायपुर। राज्यपाल अनुसुईया उइके नवा रायपुर में छत्तीसगढ़ एवं ओड़िशा उपक्षेत्र द्वारा आयोजित वेटरन डे कार्यक्रम में शामिल हुई और वीर नारियों और वीर माताओं का सम्मान किया। उन्होंने पूर्व सैनिकों और उनके परिजनों को देश के प्रति उनके योगदान के लिए धन्यवाद देते हुए शहीद सैनिकों को नमन किया।
राज्यपाल ने कहा कि भारतीय सेना का नाम लेते ही हमारा मस्तक गर्व से ऊंचा उठ जाता है। जो हर मौसम में हर क्षण देश की सीमा में रक्षा की दीवार बनकर तैनात रहते हैं। जिनके कारण आज देश का हर नागरिक महफूज रहता है और चैन की सांस लेता है। वे जागते हैं तो हम शांति से सो पाते हैं, क्योंकि हमें पता है कि हमारी सेना के रहते दुश्मन की सेना क्या, दुश्मन देश का परिंदा भी पर नहीं मार सकता। हमारी सेना जमीन, नभ और जल पर चौबीसों घंटे अपनी निगरानी रखी रहती है। स्वतंत्रता के बाद जितने भी युद्ध हुए, हमारे सैनिकों ने अपने मनोबल और साहस से लड़ा और दुश्मनों को धूल चटाई। चाहे बांग्लादेश युद्ध को याद करें या कारगिल का युद्ध, दुश्मनों ने हमारी सेना के आगे घुटने टेके। आज जब हम देश के सबसे ऊंचे सैन्यस्थल की बात करें जहां माइनस 30 से 40 डिग्री तक तापमान दिन में रहता है और रात में तापमान माइनस 70 डिग्री तक चला जाता है, वहां हमारे सैनिक अपनी जान की परवाह किए बिना तैनात रहते हैं। जब पूरा देश कोरोना संक्रमण से जूझ रहा था उस समय चीन ने हमारे देश की सीमा को लांघने की कोशिश की तो हमारी सेना ने उसका मुंहतोड़ जवाब दिया और दुश्मनों को अपने कदम पीछे करने के लिए मजबूर किए। यह युद्ध क्षेत्र लद्दाख क्षेत्र के गलवान घाटी में स्थित है, जहां का तापमान माइनस 20 से 22 डिग्री रहता है, वहां हमारे सैनिकों ने बहादुरी का परिचय दिया और आज भी तैनात हैं।
संकटग्रस्त लोगों की मदद कर उनकी जान बचाते हैं: राज्यपाल ने कहा कि युद्ध क्षेत्र ही नहीं हमारे देश में जब कभी भी प्राकृतिक विपदा, बाढ़ या भुकंप आई, हमारे सैनिक एक सूचना पर तैनात हो जाते हैं और संकटग्रस्त लोगों की मदद कर उनकी जान बचाते हैं। हमारे देश ही नहीं, हमारे पड़ोसी देशों जैसे नेपाल में भी भूकंप आया था तो हमारे सैनिकों ने उनकी सहायता की। आज जब पूरा विश्व और देश में कोरोना संकट छाया हुआ है, उस समय हमारे सेना ने क्वारेंटाईन सेंटर भी स्थापित किए थे और दवाईयां एवं आवश्यक सामग्रियों की आपूर्ति में प्रमुख भूमिका निभाई। मैंने यह भी देखा था कि कोरोना योद्धाओं के सम्मान में वायु सेना के विमानों ने आसमान से पुष्प बरसाकर उनका उत्साहवर्धन किया था। उन्होंने छत्तीसगढ़ के पूर्व सैनिकों की सामाजिक संस्था ‘सिपाही’ का जिक्र करते हुए कहा कि कोरोना काल में वे स्थानीय प्रशासन के साथ समन्वय बनाकर लोगों की मदद की। राज्यपाल ने कहा कि सैनिकों के साहस एवं निःस्वार्थ सेवा और बलिदान की गाथाएं नई पीढ़ियों को उत्साहित करती हैं।
भूतपूर्व सैनिकों और उनके परिवारजनों को अब नया रायपुर आने-जाने में नहीं होगी दिक्कत: राज्यपाल ने कहा कि सरकार की निरंतर कोशिश रहती है कि सैनिकों की सेवानिवृत्ति के बाद का जीवन कैसे सहज किया जाए। उन्होंने कहा कि भूतपूर्व सैनिकों एवं उनके परिवारजनों को नया रायपुर आने-जाने में होने वाली परेशानी को दूर करने के लिए एक वाहन देने का निर्णय लिया गया है। राज्यपाल ने भूतपूर्व सैनिकों एवं उनकी विधवाओं को आश्वस्त करते हुए कहा कि उनकी समस्याओं के समाधान के लिए हरसंभव प्रयास करूंगी और यदि किसी भी प्रकार की समस्या हो तो मुझसे संपर्क कर सकते हैं।