5 एकड़ में बनेगा राजिम माता शोध संस्थान, नए मेला स्थल के लिए 54 एकड़ जमीन चिन्हित
राजिम। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि धर्म नगरी राजिम केवल एक शहर नहीं है, बल्कि यह पूरे छत्तीसगढ़ की संस्कृति का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि यहां केवल तीन नदियों का ही संगम नहीं होता, बल्कि सांस्कृतिक संगम भी होता है। पूरे छत्तीसगढ़ के साथ-साथ ओडिशा, महाराष्ट्र के लोग भी राजिम पहुंचते हैं। यह बात बघेल ने राजिम में साहू समाज द्वारा आयोजित भक्तिन महतारी राजिम दाई के जयंती महोत्सव में कही। मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि फिंगेश्वर में नवनिर्मित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का नामकरण भक्तिन महतारी राजिम दाई के नाम पर किया जाएगा। उन्होंने राजिम में निर्माणाधीन धर्मशाला के लिए 50 लाख रुपए की स्वीकृति देने और राजिम माता शोध संस्थान के लिए पांच एकड़ जमीन देने की भी घोषणा की।
उन्होंने कहा कि राजिम का सैकड़ों साल पुराना इतिहास है। यह हमारी संस्कृति का प्रतीक है। उन्होंने बताया कि राजिम मेले को व्यवस्थित रूप से आयोजित करने के लिए जिला प्रशासन द्वारा नए मेला स्थल के लिए 54 एकड़ जमीन का चिन्हांकन कर लिया गया है। इसमें कुछ निजी जमीन भी शामिल है, जिसके बारे में भू-स्वामी किसानों से सहमति ले ली गई है। उन्होंने कहा कि राजिम मेले के दौरान साधु-संतों, शासकीय कर्मचारियों तथा बाहर से आने वाले अन्य लोगों को होने वाली असुविधा को ध्यान में रखते हुए चिन्हित स्थल पर सभी आवश्यकत इंतजाम तथा निर्माण किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि इसके लिए धन की कमी नहीं होने दी जाएगी। मड़ई-मेले हमारी पहचान से जुड़े हुए हैं। बघेल ने अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि महादेव घाट पर आज मेले के लिए जगह नहीं बची, ऐसी हालत राजिम में निर्मित नहीं होने दी जाएगी। उन्होंने कहा अपनी सांस्कृतिक पहचान को कायम रखने के लिए ही छत्तीसगढ़ शासन ने तीजा-पोरा, कर्मा जयंती, हरेली, विश्व आदिवासी दिवस तथा छठ जैसे तीज-त्यौहारों पर सार्वजनिक अवकाशों की घोषणा की है। आज छत्तीसगढ़ का अपना राजगीत है, किसी भी कार्यक्रम की शुरुआत इसी से की जाती है।